रसिक अनन्यमाल ग्रंथ || Download PDF File
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श्रीराधावल्लभ सम्प्रदाय के प्राचीनतम ग्रन्थ इस 'श्रीरसिक माल' का तीसरा संस्करण सम्पूर्ण चरित्रों के गदय रुपान्तरण के साथ प्रकाशित किया जा रहा है जिससे कि वृजभाषा न समझाने वालों को सुविधा हो जायेगी और वे इन चरित्रों का ठीक से रसास्वादन कर सकेंगे।
श्रीकृष्ण गोपाल मातनहेलिया ने प्राचीन रसिक भक्तों के चरित्रों की इस माला कोप्रकाशित करने का भार वहन किया है। एतदर्थ वेणु प्रकाशन उनका आभारी है।
श्री चैतन्य महाप्रभु एवं श्री नित्यानन्द जी को प्रणाम करके श्री हरिवंश के प्रताप बल से उत्तम कथाओं का वर्णन करता हूँ।' श्री हरिवंश ने जिन-जिन पर जिस-जिस प्रकार कृपा की वे सब असार संसार का त्याग करके प्रशंसिंत परमहंस बन गये। जो व्यक्ति श्री हरिवंश के चरणों की शरण में आये वे सिद्ध हो गये, उनकी कुमति और अविद्या नष्ट होकर उनके हृदय में प्रेम की वृद्धि हो गयी। जो लोग श्री हरिवंश के मार्ग में आये वे सब सिद्ध होकर अनन्य बन गये। श्री भगवत मुदित जी कहते हैं कि इस ग्रन्थ में मैंने उनके चरित्रों का परिचय देकर अपने को धन्य बनाया है।
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