18 पुराणों के नाम और संक्षिप्त परिचय । Download Pdf
हिंदू धर्म ग्रंथों में पुराणों का विशेष महत्व है। छांदोग्य उपनिषद में पुराणों को पंचम वेद कहा गया है। वस्तुतः वेद, उपनिषद, दर्शन आदि अन्य धर्म शास्त्रों में वर्णित गूढ़ तथ्यों को सरल रूप में व्याख्यायित करने के लिए पुराणों की रचना की गई है जिससे साधारण मनुष्य धर्म व अध्यात्म संबंधी विषयों को सरलता से समझ सके। इस आलेख में 18 पुराणों के नाम और उनका संक्षिप्त परिचय दिया गया है।
18 पुराणों के नाम की सूची ब्रह्म पुराण पद्म पुराण विष्णु पुराण शिव पुराण भागवत पुराण श्रीमद्भागवत देवी भागवत नारद पुराण मार्कण्डेय पुराण अग्नि पुराण भविष्य पुराण ब्रह्मवैवर्त पुराण लिंग पुराण वाराह पुराण स्कंद पुराण वामन पुराण कूर्म पुराण मत्स्य पुराण गरुड़ पुराण ब्रह्मांड पुराण
** ब्रह्म पुराण ** ब्रह्म पुराण में कुल 243 अध्याय हैं। इसमें श्लोकों की संख्या 10,000 से ज्यादा है। ब्रह्म पुराण दो भागों में विभाजित है। विष्णु पुराण में ब्रह्म पुराण को प्रथम पुराण माना गया है। यह पुराण आदि ब्राह्म के नाम से भी प्रसिद्ध है। ब्रह्म पुराण में ब्रह्मा का विशेष रूप से उल्लेख है किंतु सूर्य से जगत की उत्पत्ति मानकर सूर्य को अधिक महत्व दिया गया है। ब्रह्म पुराण में वर्णित है कि धर्म ही परम पुरुषार्थ है (धर्मे मतिभवतु व पुरुषोत्तमाना) ** पद्म पुराण **पद्म पुराण को पांच खंडों में विभाजित किया गया है। पांचों खंडों को मिलाकर इसमें श्लोकों की संख्या 55 हजार से ज्यादा है। नारायण की नाभि से एक पद्म की उत्पत्ति तथा उस पर आसीन ब्रह्मा जी द्वारा इस पुराण की कथा का उद्घाटन करने के कारण इस पुरान का नाम पद्मपुराण पड़ा। पद्म पुराण विष्णु भक्ति का प्रधान पुराण है। ** विष्णु पुराण **
विष्णु पुराण वैष्णव धर्म का मूल आधार है। दार्शनिक दृष्टि से विष्णु पुराण को भागवत के बाद दूसरा स्थान प्राप्त है। विष्णु पुराण में 6 अंश हैं। 6 अंशों को मिलाकर इसमें कुल 126 अध्याय हैं। इसमें श्लोकों की संख्या 7000 के लगभग है। विष्णु पुराण का उत्तर खंड ही विष्णु धर्मोत्तर पुराण कहलाता है। **शिव पुराण **
शिव पुराण को कहीं-कहीं वायु पुराण भी कहा गया है। शिव पुराण में छह संहिताएं हैं। इन संहिताओं में लगभग 24000 श्लोक हैं। शिव पुराण में लगभग 112 अध्याय हैं। शिव पुराण पुराणों के पंच लक्षणों को पूरा करता है। ** भागवत पुराण **
भागवत दो हैं। एक श्रीमद्भागवत और दूसरा देवी भागवत। विष्णु के भक्त श्रीमद्भागवत को पुराणों में गिनते हैं जबकि देवी के भक्त देवी भागवत को। श्रीमद्भागवत वैष्णव ग्रंथ है जबकि देवी भागवत शाक्त ग्रंथ है। ** देवी भागवत **
श्रीमद्भागवत की तरह देवी भागवत में भी 12 स्कंध हैं। इसकी भी श्लोक संख्या 18000 है। इसमें कुल 317 अध्याय हैं। ** नारद पुराण **
नारद पुराण में वर्णित है कि इसमें 25000 श्लोक हैं। नारद पुराण के दो भाग हैं पूर्व और उत्तर। पूर्व में 125 और उत्तर में 82 अध्याय हैं। यह पुराण वैष्णव पुराण की श्रेणी में आता है। इस पुराण की विशेषता यह है कि इसके प्रत्येक अध्याय के अंत में श्लोकों की संख्या दी गई है। ** मार्कण्डेय पुराण **
मार्कण्डेय पुराण में कुल 138 अध्याय हैं। इस में श्लोकों की संख्या लगभग 9000 है। मार्कण्डेय पुराण में पक्षियों को प्रवचन का अधिकारी बनाकर उनके द्वारा सब धर्मों का निरूपण किया गया है। इसमें संसार की असारता का वर्णन करते हुए भगवान का चरित वर्णन है। ** अग्नि पुराण **
अग्नि पुराण व वह्नि पुराण दो प्रकार का प्रचलित है। अग्नि पुराण में 383 अध्याय हैं जबकि वह्नि पुराण में 181 अध्याय हैं। इस पुराण में 15000 श्लोक माने गए हैं। ** भविष्य पुराण **
भविष्य पुराण में 4 पर्व और 585 अध्याय हैं। भविष्य पुराण शैव पुराण की श्रेणी में आता है। ** ब्रह्मवैवर्त पुराण **
ब्रह्मवैवर्त पुराण चार खंडों में विभाजित है जिसमें अध्यायों की कुल संख्या 276 है। ** लिंग पुराण **
लिंग पुराण के दो भाग हैं। इन दोनों भागों को मिलाकर कुल 163 अध्याय हैं। लिंग पुराण में लगभग एक 11000 श्लोक हैं। लिंग पुराण में शिव के 28 अवतारों का वर्णन मिलता है। ** वाराह पुराण **
वाराह पुराण में कुल 218 अध्याय हैं। इसमें लगभग 24000 श्लोक हैं। इसमें मुख्य रूप से वराह भगवान की महिमा का वर्णन किया गया है। ** स्कंद पुराण **
स्कंद पुराण सबसे बड़ा है। इसमें लगभग 81000 से भी ज्यादा श्लोक हैं। यह कितने खंडों में विभाजित है यह स्पष्ट नहीं है। नारद पुराण के अनुसार स्कंद पुराण सात खंडों में विभाजित है। यहां उन्हीं सात खंडों का उल्लेख किया गया है।
** वामन पुराण **
वामन पुराण में कुल 55 अध्याय हैं। इसमें लगभग 10000 श्लोक हैं। इसमें वामन अवतार की कथा विस्तार से कही गई है। ** कूर्म पुराण **
कूर्म पुराण के दो भाग हैं। पहले भाग में 52 अध्याय और दूसरे में 44 अध्याय हैं। मूल कूर्म पुराण में 17000 श्लोक हैं परंतु वर्तमान में प्रचलित कूर्म पुराण में लगभग 7000 श्लोक हैं। ** मत्स्य पुराण **
मत्स्य पुराण में 291 अध्याय हैं। इस पुराण में श्लोकों की संख्या लगभग 14000 है। मत्स्य पुराण में 18 पुराणों की सूची प्राप्त होती है।
** गरुड़ पुराण **
गरुड़ पुराण 2 खंड में विभाजित है। दोनों खंडों को मिलाकर कुल 288 अध्याय हैं। इसमें 18000 श्लोक हैं। हिंदू समाज में श्राद्ध के समय गरुड़ पुराण कथा का वाचन होता है। नरकों का वर्णन, शवदाह विधि, बभ्रुवाहन और प्रेत का संवाद, मनुष्य जन्म लाभ की महिमा, प्रेत योनि छुड़ाने का उपाय, यमलोक का मार्ग, मनुष्यों की आयु का निर्धारण, बाल मृत्यु का कर्म निर्णय, दान महात्म्य, जीव की उत्पत्ति, सांड़ को छोड़ने का फल और विधि, पूर्व जन्म के कर्मों का संबंध वर्णन, आत्महत्यारे के श्राद्ध करने का निषेध, वार्षिक श्राद्ध, गरुड़ पुराण को पढ़ने और सुनने का फल इत्यादि। ** ब्रह्मांड पुराण **
ब्रह्मांड पुराण के दो भाग हैं। पहले भाग को प्रक्रियापाद और दूसरे को उपोद्धातपाद कहते हैं। ब्रह्मांड पुराण में कुल 142 अध्याय हैं। इस पुराण में श्लोकों की कुल संख्या 12000 है। Download Part 1
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** श्रीमद्भागवत **
श्रीमद्भागवत में 12 स्कंध हैं। सभी स्कंधों को मिलाकर 335 अध्याय हैं। इसमें 18000 श्लोक हैं। वेदव्यास जी के द्वारा रचित यह अंतिम पुराण था जिसकी रचना करने की प्रेरणा उन्हें देवर्षि नारद जी ने की थी , इस रचना के बाद उन्हें वो पूर्ण शांति और आनंद प्राप्त हुआ जिसके लिए उन्होंने उपरोक्त पुराण लिखे थे। क्यूंकि श्री मदभागवत जी में श्री कृष्ण की मधुर लीलाओ का वर्णन है व प्रेमा भक्ति का वर्णन है
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